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जागना जरूरी है ‘ सरकार हमारी है ,इसे हम बनाते है, अधिकार है हमको अपनी बात कहने का , इसे सब जानते है शायद यह सोचकर चुप बैठ जाते है की हमारी हिस्सेदारी कम है , एक मै क्या कर लूँगा ? क्या सच मे ऐसा है की मे कुछ नहीं कर सकता ? लगता तो नहीं है की अगर मे जाग जाऊँगा , और इस बात की सत्यता से परिचित हो जाऊँगा कि , आज जिस आम के फल को हम खा रहे है उसे लगाने वाला हमसे बहुत दूर है ,तो मै ऐसा जरूर सोचूंगा कि मै भी कुछ ऐसा करू जो आम का मजा दे . मै ने सोचा कि जब मै मालिक हूँ तो जरा मालिक कि तरह सोचकर देखू दिखलाई दे रहा है कि जिसको जिस काम के लिए लगाया है वो आपना काम नहीं कर रहा है ,मैंने जो ब्यवस्था बनाया था वो ठीक कम नहीं कर रहा है, इसीलिए चारो ओर हाय तौबा मचा हुआ है मुख्य मंत्री , बिभागीय मंत्री ,और इनके नीचे श्रेणीबद्ध रूप से नियुक्त पदाधिकारी और कर्मचारी ,सब अपनी जिमेदारी से भाग रहे है , हम खुद आपनी जिमेदारी से भाग रहे है जिमेदारी को जगाने वाली चेतना सो गई है , इस चेतना को जगाने के लिए किसी योग गुरु क़ी जरूरत नहीं है ,इस चेतना को जगाने के लिए केवल हमें अपना सोचने का तरीका बदलना पड़ेगा , अपनी आवश्यकताओ को सिमित करना होगा ताकि आगे के लिए कुछ अछा सोचा जा सके. मेरा अपना बिचार है कि सरकार को स्वावलंबी होना चाहिए ,उसका अपना कमाई का जरिया होना चाहिए ,टैक्स लेना बंद ,कर के सेवा शुल्क लेना चाहिए, अनुदान देकर लोगो को भिखमंगा नहीं बनाना चाहिए, लोगो को ऊपर उठाने के लिए ऐसे प्रयास करने चाहिए जिससे उनका सम्मान बना रहे, सामानों क़ी कीमत तय करने के लिए एक निर्धारित माप दंड होना चाहिए, जब एक कोई पार्टी का राज नहीं रह गया है तो सरकार वोट के प्रतिशत के हिद्सब से बनना चाहिए सरकार बनाने लायक संख्या वोट के प्रतिशत के हिसाब से तय किया जाना चाहिए , कोई खरीद फरोख्त नहीं , इसका मौका ही नहीं दिया जाना चाहिए. ज्यादा वोट लाओ सरकार मै रहो ,कम वोट लाओ सरकार के काम को देखो. कोई पार्टी नहीं ,कोई आन्दोलन नहीं,कोई घोटाला नहीं
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